अपने-अपने युद्ध हैं, अपने-अपने हैं व्यूह। अपने-अपने युद्ध हैं, अपने-अपने हैं व्यूह।
यही समय है उसे मेहतर हो जाना होगा। यही समय है उसे मेहतर हो जाना होगा।
न जानें क्यूं कभी ऐसा होता है ?? क्या चाहत से बढ़कर ये पैसा होता है ?? न जानें क्यूं कभी ऐसा होता है ?? क्या चाहत से बढ़कर ये पैसा होता है ??
तू क्यों रोता है ? क्या लेकर आया था , क्या लेकर जायेगा I तू क्यों रोता है ? क्या लेकर आया था , क्या लेकर जायेगा I
तुम इश्क हो, तुम इश्क हो सहला सााँसोंं से जिला जाती हो। तुम इश्क हो, तुम इश्क हो सहला सााँसोंं से जिला जाती हो।
वर्ना बिना रीढ़ की हड्डी के जीवन दिव्यांगता बन जाती है। वर्ना बिना रीढ़ की हड्डी के जीवन दिव्यांगता बन जाती है।